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ज़िन्दगी बस इनमे गुजर रही, किस्से तेरे और शब्द मेरे.........

zindagi bas inme gujar rahi,kisse tere aur shabd mere..
ज़िन्दगी बस इनमे गुजर रही,
किस्से तेरे और शब्द मेरे,
यादें करती है रह रह कर,
मन में हर बार कोई नयी हलचल,
ज़हन में खिंच के लाती है,
बीती यादों के बीते पल,
कहती है यूँ न निकलेगा,
उलझनों का तेरी कोई हल,
चल आज भर याद कर ले,
भूल जायेंगे उसको कल,
क्यों आज भी है बस ज़ुबान पर,
जिक्र तेरी और बोल मेरे,
ज़िन्दगी बस इनमे गुजर रही,
किस्से तेरे और शब्द मेरे,
दूरियां बढ़ गई फिर भी,
प्यास तेरी है दिल में अब भी,
यादों में तेरे रहने की,
आदत मेरी है वही अब भी,
चली गई तू दूर भले पर,
बदली न कुछ चीजें अब भी,
रात के अब भी २ ही पहलु,
नींद मेरी और ख्वाब तेरे,
ज़िन्दगी बस इनमे गुजर रही,
किस्से तेरे और शब्द मेरे!

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