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ab ehsaas ye hota hai,wo bachpan kitna achha tha.. |
वो बचपन कितना अच्छा था,
बस बोलने की देरी थी,
हर ख्वाइश ही पूरा होता था,
गलती भी कुछ हो जाए तो,
कोई मुझसे खफा न होता था,
हस्ते हस्ते रो देना और,
रोते रोते हस लेना,
अपनी खास चीजों को भी,
गलती से अपनी खो देना,
नटखट था थोड़ा भले ही मैं,
पर दिल का बहुत सच्चा था,
अब एहसास ये होता है,
वो बचपन कितना अच्छा था,
ज़िद्द न होती थी मन में,
इक खास को ही पाने की,
आदत थी उन दिनों जैसे,
जो मिले उसे अपनाने की,
पल भर में चाहत बदल थी जाती,
तब दिल शायद इतना कच्चा था,
अब एहसास ये होता है,
वो बचपन कितना अच्छा था!
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