जब इरादा है मेरा जीत का,
तो हरा नहीं सकता है कोई,
अब चल पड़े हैं तो रुकने का,
सवाल नहीं बनता है कोई,
बस जाएंगे हर पल आगे अब,
भुला के बीती बात को,
हक़ीक़त के रंगों से अपने,
सजायेंगे दिन और रात को,
अब असर जरूर दिखाएगी,
माँ की की हुई हर दुआ,
संभालेगी ये मुझको तब,
मैं जो कभी कमज़ोर हुआ,
अब कहाँ रोक पायेगा हमें,
हार का फैला ये शोर,
दिल की अपनी दुनिया के तरफ,
बढ़ते कदम मंज़िल की ओर!
तो हरा नहीं सकता है कोई,
अब चल पड़े हैं तो रुकने का,
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badhte kadam manzil ki or... |
बस जाएंगे हर पल आगे अब,
भुला के बीती बात को,
हक़ीक़त के रंगों से अपने,
सजायेंगे दिन और रात को,
अब असर जरूर दिखाएगी,
माँ की की हुई हर दुआ,
संभालेगी ये मुझको तब,
मैं जो कभी कमज़ोर हुआ,
अब कहाँ रोक पायेगा हमें,
हार का फैला ये शोर,
दिल की अपनी दुनिया के तरफ,
बढ़ते कदम मंज़िल की ओर!
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