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हम इतनी जल्दी क्यों बड़े हो गए.....

hum itni jaldi kyun bade ho gaye....
न जाने क्यों ये वक़्त,
इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है,
हर पल में इस जीवन का,
रंग बदल रहा है,
बचपन के वो खेल,
स्कूल की वो गलियां,
वो हर चीज़ को पाने की चाहत,
सुनहरे से वो ख्वाब,
न जाने कहाँ खो गए,
जल्दी बड़े होने की चाहत थी कभी,
और अब सोचते रहते हैं,
हम इतनी जल्दी क्यों बड़े हो गए,
कल तक जिन कन्धों पे,
किताबें हुआ करती थी,
आज उन्ही कन्धों पर,
जिम्मेदारियों के कई पूल बंध गए,
जिन अपनों में कल तक खोये रहते थे,
आज दूर उनसे रहने को मजबूर हो गए,
जल्दी बड़े होने की चाहत थी कभी,
और अब सोचते रहते हैं,
हम इतनी जल्दी क्यों बड़े हो गए!

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Heart touching lines...my dear friend..0

Unknown ने कहा…

Thanks javed bhai