![]() |
humne future ki bus ke intzaar me,bachpan ki ice-cream ko pighalte dekha hai.... |
सूरज को ढलते देखा है,
झूठे सपनो की चाह में हमने,
रातों को गुजरते देखा है,
चाँद है कोशों दूर हमसे पर,
नदी के ठहरे जल में अक्सर,
चांदनी को मचलते देखा है,
उम्र का तकाज़ा हमसे न जताओ साहब,
इतनी सी उम्र में हीं हमने,
जीने का हर रूप देखा है,
हमने फ्यूचर की बस के इंतज़ार में,
बचपन की आइस्क्रीम को पिघलते देखा है,
जीने की खुशियों के बीच,
किसी की याद को खलते देखा है,
लबों पे हँसी रख के अक्सर,
हर दिल को जलते देखा है,
टूटती निगाहों में भी हमने,
नए ख्वाब मचलते देखा है,
हमसे न पूछो ज़िंदगी की,
सफर के रास्तों के बारे में साहब,
जरुरत पड़ने पर हमने,
अपनों को बदलते देखा है,
अपने हीं यादों में अपना,
खोया हुआ बचपन देखा है,
माँ की ममता में हमने,
भगवन के रूप को देखा है,
खुद के सीने में हमने,
मंज़िल की भूख को देखा है,
हमसे न सुनाओ,
मुसीबतें इन राहों की,
हमने बिन पंखों के भी,
लहरों को उड़ते देखा है!
5 टिप्पणियां:
मज़ेदार। वाकई मजा आ गया।
Throwback to childhood mameries
Throwback to childhood mameries
Thank u
Bahut badhiya Pankaj ji
एक टिप्पणी भेजें