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tumse rooth kar bhi tumse hin pyar karte hain,hume to thik se naraz hona bhi nahi aata.. |
तुमसे हीं प्यार करते हैं,
हमे तो ठीक से,
नाराज़ होना भी नहीं आता,
इश्क़ की ये गुमनाम राहें,
रास नहीं थी हमे कभी,
बस देखते थे छुप के तुम्हे,
न सोचा था चाहेंगे कभी,
अब चाह लिया है तुमको तो,
निभाएंगे वफ़ा भी तुमसे हीं,
मनाएंगे बेशक हम तुम्हे,
तो होंगे खफा कभी तुमसे हीं,
अब सच कहूँ तो तुम्हारे सिवा,
हमे जहाँ में कुछ नहीं भाता,
तुमसे रूठ कर भी,
तुमसे हीं प्यार करते हैं,
हमे तो ठीक से,
नाराज़ होना भी नहीं आता,
एक उमंग में जीता हूँ हर पल,
तेरे साथ का हीं ये असर है,
हाथ जो थामे तू चले फिर,
हर दर्द हीं बेअसर है,
यूँ लगता दुनिया हो गई पराई,
एक बस तुझसे हीं मेरा नाता,
तुमसे रूठ कर भी,
तुमसे हीं प्यार करते हैं,
हमे तो ठीक से,
नाराज़ होना भी नहीं आता!
1 टिप्पणी:
Nicee.....
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