ads

थाम कर हाथों में पेंसिल, एक बार मेरी खातिर लिख दे.......

tham kar haathon me pencil,ek baar meri khatir likh de..











थाम कर हाथों में पेंसिल,
एक बार मेरी खातिर लिख दे,
वक़्त न जिसे बदल पाए,
ऐसी मेरी तक़दीर लिख दे,
जो कह न सके होंठ मुझसे,
वो थोड़े से बात लिख दे,
ख्वाबों में अक्सर ढूंढते हैं,
मिलन के अब दिन रात लिख दे,
थाम कर हाथों में पेंसिल,
एक बार मेरी खातिर लिख दे,
दिल में जो है मेरे लिए,
वो थोड़े जज़्बात लिख दे,
दूरियां बहुत सह ली हमने,
कुछ पल की अब मुलाक़ात लिख दे,
और अगर मैं तेरे लायक नहीं,
तो मेरी औकात लिख दे,
थाम कर हाथों में पेंसिल,
एक बार मेरी खातिर लिख दे!

कोई टिप्पणी नहीं: