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तलाश मुझे उस नज़र की है, जिस नज़र में मेरी कदर रहे.............

talash mujhe us nazar ki hai,jis nazar mein meri kadar rahe..
तलाश मुझे उस नज़र की है,
जिस नज़र में मेरी कदर रहे,
थक गया हूँ भाग भाग के,
खूबसूरत चेहरों के पीछे,
थक गया हूँ चल के दिल की राह,
पलकों को कर के नीचे,
अब ख्वाइश नहीं कुछ ज़्यादा बस,
अपनेपन का एहसास मिले,
दिखने में चाहे साधारण हो,
मन में न रखे कोई गीले,
कहुँ न कुछ उससे फिर भी,
उसको मेरी हर खबर रहे,
तलाश मुझे उस नज़र की है,
जिस नज़र में मेरी कदर रहे,
नहीं चाहिए कोई ऐसा,
जो उलझ हो खुद में हर पल,
न चाहिए कोई ऐसा भी,
मन में हो जिसके कोई छल,
चाहत है तो बस इतनी ही,
कदम जो मेरे रुक जाये कभी,
थामे वो हाथ मेरा और कहे,
मैं हूँ न मेरे साथ में चल,
उदास रहूँ तो रूठे न मुझसे,
बस इतना उसमे सबर रहे,
तलाश मुझे उस नज़र की है,
जिस नज़र में मेरी कदर रहे!

4 टिप्‍पणियां:

Vivek Sharma ने कहा…

Aap bahut accha likhte h....dil ko chhu jane wali baate

Sunil ने कहा…

superb poem

Unknown ने कहा…

Thanks for ur copliments..

Unknown ने कहा…

Thank u..