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खूबसूरत सी है दुनिया ये फिर, ज़िन्दगी क्यों इतनी अजीब है....

khubsurat si hai duniya ye fir......
खूबसूरत सी है दुनिया ये फिर,
ज़िन्दगी क्यों इतनी अजीब है,
ख्वाब देखने भी हमे,
खुद हीं ये सिखाती है,
दिल को आहट भी नहीं होती और,
इक पल में सब छीन लेती है,
पलकों के पीछे छिपे सपने,
अधूरे हीं रह जाते हैं,
किसे मिलनी है खुशियां कितनी,
हर एक का अपना नसीब है,
खूबसूरत सी है दुनिया ये फिर,
ज़िन्दगी क्यों इतनी अजीब है,
हर किसी को अपनी चिंता है,
पूरे करने कई सपने हैं,
दूसरों की कोई सोचता नहीं,
चाहे वो उसके अपने हैं,
भाग दौड़ पड़ी है हर जगह,
सब खुद में हीं उलझे हैं,
पर वक़्त हीं तय करता ये,
कौन किसके कितने करीब है,
खूबसूरत सी है दुनिया ये फिर,
ज़िन्दगी क्यों इतनी अजीब है!

2 टिप्‍पणियां:

Rajeev ने कहा…

ज़िन्दगी की उलझानों को सुलझाने के लिए एक अदद हमसफर की तलाश है

Unknown ने कहा…

Gud one...