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खुदा तू आज अपनी कलम से....

khuda tu aaj apni kalam se....
चैन नहीं ज़िंदगी में अब,
टूट रहे हर ख्वाब मेरे,
ख़ुशी भड़ी मेरी शामों को,
जैसे है बुरी कोई साया घेरे,
बदल दे अब किस्मत की चल,
तू अपने रहमो करम से,
थोड़ी खुशियाँ लिख दे नसीब में मेरे,
खुदा तू आज अपनी कलम से,
अजीब से ख्याल आते हैं मन में,
तनहा मैं जब भी होता हूँ,
बीती यादों में उलझ कर,
दिल ही दिल में रोता हूँ,
डर लगता है कहीं टूट न जाऊं,
मन के मेरे इस वहम से,
थोड़ी खुशियाँ लिख दे नसीब में मेरे,
खुदा तू आज अपनी कलम से,
मांग रहा हूँ उतना ही,
जितनी मेरी औकात है,
सुन ले अगर जो तू मेरी,
खुशियों की फिर हर रात है,
दर्द मिटा दे तू मेरे,
प्यार के अपने मरहम से,
थोड़ी खुशियाँ लिख दे नसीब में मेरे,
खुदा तू आज अपनी कलम से!

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