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भले तुझसे कुछ न चाहा है, पर सिर्फ तुझे ही चाहा है......

bhale tujhse kuch na chaha hai par sirf tujhe hi chaha hai...
भले तुझसे कुछ न चाहा है,
पर सिर्फ तुझे ही चाहा है,
दिल से दिल बातें की हमने,
बिन जाने लबों का इज़हार क्या है,
बस तुझपे ही रुकी है नज़र,
जब से जाना की प्यार क्या है,
नींदें मेरी बेशक हैं पर,
ख्वाबों में एक बस तेरी चाहत,
तुझसे हीं लबों की बेचैनी,
तुझसे हीं धड़कन को राहत,
बताया तो नहीं कभी हमने,
न दिखने दिया है चेहरे पर,
भूल के हालातों को अपने,
तुझे हर पल में सराहा है,
भले तुझसे कुछ न चाहा है,
पर सिर्फ तुझे ही चाहा है,
सोचते हैं मेरा क्या वजूद होता,
मिलता जो न मैं तुझसे अगर,
चाहा है दिल ही दिल में,
बेशक लब खामोश रहें पर,
जब भी झुकी हैं नज़रें,
सजदे में रब के आगे,
भूल कर सब कुछ हमने,
बस एक तुझे हीं माँगा है,
भले तुझसे कुछ न चाहा है,
पर सिर्फ तुझे ही चाहा है!