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जब कहती हो की मेरी हो, एक सुकून मिलता है सुन के...

जब कहती हो की मेरी हो,
एक सुकून मिलता है सुन के,
तेरी चाहत में रहता दिल ये,
तेरे ख्वाबों में ही सोता है,
तुम हो हर पल करीब मेरे,
एहसास ये जब भी होता है,
बज उठती है दिल में शहनाई,
दिल याद नए संजोता है,
हदों में अपनी रह के हर बार,
खुश रहता है खुद में ही,
बस साथ तुम्हारे जीने के,
ख्वाब ये पलकों में बुन के,
जब कहती हो की मेरी हो,
एक सुकून मिलता है सुन के,
हर गम में हर ख़ुशी में मेरे,
संग होने का वादा है,
थाम के तुझको हर डगर में,
संग चलने का इरादा है,
तुझ बिन ज़िंदगी सूनी लगती,
हर ख़ुशी मेरी जैसे आधा है,
खामोशियों को तोड़ कभी,
कह दे अगर कोई बाधा है,
सजा दूंगा कल को तेरे,
रंग वफ़ा के जहाँ से चुन के,
जब कहती हो की मेरी हो,
एक सुकून मिलता है सुन के!

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