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tujhko kya lagta dil mere,kya gum ek tujhi ko hai... |
क्या गम एक तुझी को है,
भीड़ देख दुनिया की तू,
यहाँ पे कितने चेहरे हैं,
कहीं आग नफरत की है तो,
कहीं रंग वफ़ा के सुनहरे हैं,
कोई टूटा है सपनो से तो,
कोई रूठा है यहाँ अपनों से,
पूछ अगर तो हो मालूम,
हर दिल में ज़ख़्म गहरे हैं,
हैरान क्यूँ है दुनिया से तू,
पलकें इतनी बुझी क्यूँ है,
तुझको क्या लगता दिल मेरे,
क्या गम एक तुझी को है,
तू कहता है खुश उन्हें,
जो हसते तुझको दीखते हैं,
अब तुझको क्या मालूम है वो,
गम दिल में अपने रखते हैं,
जानता है हर बात को तू,
समझता है हालातों को,
फिर क्यूँ खामोश है रहता तू,
तोड़ दिल के जज़्बातों को,
सोच ज़रा तू उदास है क्यूँ,
ज़िन्दगी इतनी उलझी क्यूँ है,
तुझको क्या लगता दिल मेरे,
क्या गम एक तुझी को है!
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