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अब कहुँ क्या तुझसे हाल-ए-दिल, बस ऐसा पहले कभी न हुआ......

aisa pehle kabhi na hua.....
अब कहुँ क्या तुझसे हाल-ए-दिल,
बस ऐसा पहले कभी न हुआ,
धड़कनों में एक बेचैनी है,
पलकों में अलग एक हया है,
साज़िश है ख्वाबों की ये,
हर एहसास हीं जैसे नया है,
कहाँ किसी की बातों ने अब तक,
दिल को मेरे ऐसे था छुआ,
अब कहुँ क्या तुझसे हाल-ए-दिल,
बस ऐसा पहले कभी न हुआ,
उलझनों ने जैसे मिल गई मुक्ति,
सँवरने लगे तेरे करीब आ के,
भूलने लगे अपने ग़मों को,
एक बस तुझको पा के,
पा के तुझको पूरे हो गए,
कहाँ कोई बाकी रही दुआ,
अब कहुँ क्या तुझसे हाल-ए-दिल,
बस ऐसा पहले कभी न हुआ!