ads

जिंदगी तुम्हे फिर जी कर देखेंगे....

कभी जो फुरसत में होंगे तब,
उलझनों को अपनी सुलझा कर देखेंगे,
याद करेंगे बचपन और,
पत्थर नदी में फिर से फेंकेंगे,
अधुरे ख्वाइशों को छोड़ रखा है,
किसी एक खास मकसद से,
निपट लें जिम्मेदारियों से पहले,
जिंदगी तुम्हे फिर जी कर देखेंगे!

कोई टिप्पणी नहीं: