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तेरी मुस्कान कहती धीरे से, की तुम्हे भी मुझसे प्यार है......

teri muskan kehti dheere se,ki tumhe bhi mujhse pyar hai...
तेरी मुस्कान कहती धीरे से,
की तुम्हे भी मुझसे प्यार है,
जब देखा हुआ तेरी पलकों का,
कोई ख्वाब अधूरा होता है,
दूरियाँ बढ़ जाए मुझसे,
कोई पल बुरा जो होता है,
तू लड़ती है तब कह के ये,
तुम प्यार न मुझसे करते हो,
तभी तो मेरी मेहंदी का,
रंग लाल न पूरा होता है,
आँखों की नमी कहती तब ये,
न समझ लेना तुम गलत मुझे,
इस गुस्से में है छिपा मेरा,
तुमसे हर पल इज़हार है,
तेरे लब कहते हैं इशारे में,
की तुम्हे भी मुझसे प्यार है,
दुनिया लगती जब खफा मुझे,
तुम तो न मुझसे तंग हो न,
तन्हाई कभी जो पास आती,
दिल पूछता तुम संग हो न,
तुम बिन क्यों जी न पाते हम,
चाह के भी अपने दिनों को,
तुम बिन कोई ख़ुशी न भाती क्यों,
खुशियों का मेरी तुम रंग हो न,
जान गया हूँ बेहतर अब,
रूह का तेरी हर कोना,
एकतरफा नहीं है वफ़ा मेरी,
तुम्हे भी मेरा इंतज़ार है,
तभी लब कहते हैं इशारे में,
की तुम्हे भी मुझसे प्यार है!

चलो फिर किसी अजनबी से दिल लगाया जाए........

chalo fir kisi ajnabi se dil lagaya jaaye..
बहुत खुशगवार सी चल रही गई ज़िंदगी मेरी,
चलो फिर किसी अजनबी से दिल लगाया जाए,
खाली सा मन होता हर पल,
और नींद भी अच्छी आती है,
पर बेचैनियों वाली वो,
रातें भी याद आती हैं
भूख भी होती थी फिर भी,
खाया कुछ न जाता था,
नींद भी पलकों में होती,
पर जाग के रात बिताता था,
सोच रहा हु फिर से वही,
दिन को एक बार दुहराया जाए,
बहुत खुशगवार सी चल रही गई ज़िंदगी मेरी,
चलो फिर किसी अजनबी से दिल लगाया जाए,
वो बेचैनियां जो सीने में,
हर वक़्त ही उतरा करती थी,
संभल नहीं पता था दिल,
चाहे कितना भी धड़कन डरती थी,
खो देती थी खुद को हर बार,
इश्क़ की उन सूनी राहों में,
पर भूल भी जाती थी हर गम,
जब होती महबूब की बाहों में,
अब खो दिया सब कुछ फिर भी,
दिल ए नादान अब भी कहता है,
सो लिए अच्छी नींद बहुत,
अब खुद को थोड़ा सताया जाए,
बहुत खुशगवार सी चल रही गई ज़िंदगी मेरी,
चलो फिर किसी अजनबी से दिल लगाया जाए!

ख्वाबों से कभी बाहर आ के, अपना लो मुझे ना बिन बोले......

khwabon se kabhi bahar aa ke,apna lo mujhe na bin bole..
ख्वाबों से कभी बाहर  आ के,
अपना लो मुझे ना बिन बोले,
सपनो में अब जो आती हो,
रहती हो मुझसे दूरी में,
बताती भी ना हो खुल के,
उलझी हो किस मजबूरी में,
कह भी दो हालात अपने या,
भुला दो तुम अपनी उलझन,
सुना दो कभी तुम छुप कर हीं,
पायल की अपनी रुनझुन.
सुन लो इक बार ही दिल की तुम,
भाव मन के बिन तोले,
ख्वाबों से कभी बाहर  आ के,
अपना लो मुझे ना बिन बोले,
सपनो से कभी बहार तू आ,
देख यहाँ क्या चल रहा,
रंग वही हैं चाहत के या,
क्या कुछ है यहाँ बदल रहा,
पूछ ज़रा तू दिल से अपने,
खुश है वो कितना मुझ बिन,
या मिल गया कोई मुझ सा दूजा,
जो लूटा दे हंस के अपने दिन,
मिल गई चाहत अगर मुझसे बेहतर,
तो खुश रहो अपने आज में तुम,
या अब भी मेरी जरूरत है तो,
बुला लो इक आवाज़ में तुम,
फिर करीब आ के रंग वफ़ा के,
साथ मिल के दुनिया में घोलें,
ख्वाबों से कभी बाहर  आ के,
अपना लो मुझे ना बिन बोले!

आना चाहो तो आ जाओ, मैं भूल चूका हर बात पुरानी.......

aana chaho to aa jaao,main bhool chuka har baat purani..
आना चाहो तो आ जाओ,
मैं भूल चूका हर बात पुरानी,
भूल गया हर बात तुम्हारी,
क्या कुछ था तुमने मुझसे कहा,
शिकवे भी अब दिल में नहीं,
बस प्यार नहीं तुझसे अब रहा,
रिस्ता जो कुछ भी था तुझसे,
उसके हर निशान मिटा चूका,
भुला दिया वो आंसू भी,
जो तुझसे बिछड़ के था बहा,
भूल जाओ अब तुम भी सब,
ना रखो कोई दिल में हैरानी,
आना चाहो तो आ जाओ,
मैं भूल चूका हर बात पुरानी,
अब ना दिल ये मंदिर है,
ना उसमे कोई मूरत है,
ना कोई आया फिर इसमें,
ना तेरी अब भी सूरत है,
अगर है कुछ तो एक बात अधूरी,
जो तेरे लबों से सुननी है,
कह दो कि वो प्यार नहीं था,
थी वो दिल की बस नादानी,
आना चाहो तो आ जाओ,
मैं भूल चूका हर बात पुरानी!

थामा जो मेरा हाथ है, निभाने का भी वादा कर.......

thama jo mera hath hai,nibhane ka bhi vaada kar....
थामा जो मेरा हाथ है,
निभाने का भी वादा कर,
गम की पुराणी रातें या,
खुशियों के वो मेले सही,
दुनिया के किसी भी मोड़ पे,
याद रखना अब तुम अकेले नहीं,
जुड़ गई हूँ तेरे हर पल से,
ले कर तुझ संग मैं 7 फेरे,
अब तो साथ रहूंगी हर पल,
साया बन कर करीब तेरे,
तू भी हर डगर में मेरे,
संग चलने का इरादा कर,
थामा जो मेरा हाथ है,
निभाने का भी वादा कर,
मेरी फ़िक्रों में यूँही,
तू खुद को न सताया कर,
जानते हो तुम बिन रह नहीं पाती,
फिर मुझको न आज़माया कर,
मैं तो खुश हु तुझे पा कर ही,
संग मेरे तू भी खुश रहा कर,
बातें जो तुझे कोई सताए,
बेशक मुझसे तू कहा कर,
साँसों को अपनी संभल और,
परवाह न मेरी ज़्यदा कर,
थामा जो मेरा हाथ है,
निभाने का भी वादा कर!

चलो कोई दिन ही बता दो, जो खास था ज़िंदगी में तुम्हारे.......

chalo koi din hi bata do,jo khas tha zindagi me tumhare..
चलो कोई दिन ही बता दो,
जो खास था ज़िंदगी में तुम्हारे,
चाहे मत बता तू हाल अपना,
न सुना अपनी मजबूरी,
इतने दिन बाद तो मिले हैं,
क्या यही रह गया कहने को जरूरी,
चल मान लिया कुछ था नहीं,
तेरे उन पुराने वादों में,
पर वक़्त इतना साथ बीतये थे,
कुछ तो होगा तेरी यादों में,
वो किस्सा ही अपना सुना दो कोई,
जो ज़ेहन में हो अब भी तुम्हारे,
चलो कोई दिन ही बता दो,
जो खास था ज़िंदगी में तुम्हारे,
कोई दिन ऐसा जिसमे यूँ लगा हो,
पूरे जहां की खुशियां पा ली तुमने,
या कोई दिन ऐसा जिसमे,
मुझ पे हर ख़ुशी लुटाई तुमने,
कोई पल ही वो बता दो जिसमे,
बेमतलब तुम्हे रुलाया हो,
या कोई दिन ऐसा जिसमे,
जी भड़ के तुम्हे हंसाया हो,
या रह गई हो जो अधूरी दिल की,
जानू तो सही वो ख्वाइश तुम्हारे,
चलो कोई दिन ही बता दो,
जो खास था ज़िंदगी में तुम्हारे!

आज एक पुराना ख्वाब मिल गया , आँखों की आलमारी से..........

aaj fir purana khwab mil gaya,aankhon ke aalmari se..
उम्र ये आधी बीता दी हमने,
गिर के यूँ ही संभलने में,
तब भी डरते हैं अब भी,
तनहा राहों में चलने में,
कभी अपनों में तो कभी,
अकेला भी दिल ये डरता है,
सोच सोच के बात पुरानी,
खुद से कई बार ये लड़ता है,
फिर भी मन को संभल कर,
धड़कनो को बहला कर,
बस थोड़ा सा सुस्ताये ही थे,
बच के इस दुनियादारी से,
तभी एक पुराना ख्वाब मिल गया ,
आँखों की आलमारी से,
कभी संवर लिया अपनों में तो,
कभी अपनों को संभाला भी,
कभी कह दिया दुनिया से कुछ तो,
कभी ज़ुबान पर रहा ताला भी,
कभी अपने बन बैठे गैर,
कभी गैरों में ढूढ़ा अपनों को,
कभी हँस के जी लिया ख्वाब तो,
कभी टूटते देखा सपनो को,
सोचा जब पाया ही क्या,
धड़कनों की वफादारी से,
तभी एक पुराना ख्वाब मिल गया ,
आँखों की आलमारी से!

तुम्हे भी प्यार है मुझसे, कह दो न ये इक बारी........

tumhe bhi pyar hai mujhse,keh do na ye ik baari..
तुम्हे भी प्यार है मुझसे,
कह दो न ये इक बारी,
क्यों पास तुम्हे न देख कर,
धड़कन खुद में रूकती है,
क्यों आँखें अब भी मेरी,
तेरे सजदे में ही झुकती है,
क्यों तेरी फ़िक्रों में अब भी,
दिल वक़्त जाया करता है,
क्यों तेरे पीछे दुनिया को,
दिल ये पराया कहता है,
तुम क्या जानो धड़कन ही क्या,
साँसें तक है तुमपे हारी,
तुम्हे भी प्यार है मुझसे,
कह दो न ये इक बारी,
ज़िंदगी तुम्हारे साथ कटे,
अधूरा सा एक ख्वाब है,
अगर तुम नहीं तो खुशियों से,
रूठा स एक हिसाब है,
खामोशियाँ कभी अपनी तोड़ो,
कह भी दो कुछ ज़ुबान से अपनी,
मन में है जो भी तुम्हारे,
दिल सुनने को बेताब है,
जाने की चाह है इतनी ही,
क्या कहती है धड़कन तुम्हारी,
तुम्हे भी प्यार है मुझसे,
कह दो न ये इक बारी,
सिर्फ हक़ीक़त से ही नहीं,
तेरे ख्वाबों से भी मेरा वास्ता है,
रब दीखता तुजमे मुझको,
इक अजीब सी मेरी आस्था है,
चलने को तैयार नहीं,
इक पल भी कदम मेरे तुम बिन,
तू अगर साथ नहीं मेरे,
सूना दीखता हर रास्ता है,
अब तो बस तेरा हाथ थम कर,
जीने की है ख्वाइश हमारी,
तुम्हे भी प्यार है मुझसे,
कह दो न ये इक बारी!

आओ साथ मिल कर नया, सुनहरा कल हम लिखते हैं........

aao sath mil kar naya,sunahra kal hum likhte hain..
आओ साथ मिल कर नया,
सुनहरा कल हम लिखते हैं,
कुछ तुम भी अपना बात रखो,
कुछ हम भी अपनी रखते हैं,
एक दूजे में ही खोये खोये,
पल ये बीता लिए बहुत,
साथ जीने मरने के,
सपने भी सजा लिए बहुत,
अब ख्वाब वही बस जिनमे की,
हम हमेशा संग में थे,
हर ख़ुशी हर गम में,
जीने के अपने ढंग में थे,
उन्ही ख्वाबों की दुनिया में,
हम साथ कदम अब रखते हैं,
आओ साथ मिल कर नया,
सुनहरा कल हम लिखते हैं,
कुछ तुम भी अपना बात रखो,
कुछ हम भी अपनी रखते हैं,
बनाते हैं दुनिया ऐसी,
जिसमे बस अपनी खुशियां हो,
न ही कोई गीला हो दिल में,
न मन में कोई शिकवा हो,
बिन कहे समझ लें गम दिल के,
एक दूजे को जाने हम ऐसे,
जैसे धरती की प्यास को,
बदल समझ लेता है कैसे,
तराशें हम राहें अपनी,
खुद चाहत के रंगों से,
चलो चले हम उनसे अलग,
जो उम्मीदें बस तकते हैं,
आओ साथ मिल कर नया,
सुनहरा कल हम लिखते हैं,
कुछ तुम भी अपना बात रखो,
कुछ हम भी अपनी रखते हैं!