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दिल की ख्वाईश है इतनी सी,खुले आँख तो तेरा साथ हो, हो बंद तो तेरा ख्वाब हो....

dil ki khwaish hai itni si....
दिल की ख्वाईश है इतनी सी,
खुले आँख तो तेरा साथ हो,
हो बंद तो तेरा ख्वाब हो,
तू अगर मुझको मिल जाए,
ख्वाईश मैं सारी ठुकरा दूँ,
ठुकरा दूँ अपनी हर चाहत,
रातों की नींद भी लुटा दूँ,
खुशियों का दामन थाम लूँ,
गम से मैं पल्ला झाड़ लूँ,
तू जीत के अगर जो खुश हो तो,
हँस के हर बाज़ी हार जाऊँ,
बदले में है बस चाह यही,
मेरे नाम से हीं खिले तेरे,
सजे मेहँदी के हाथ हों,
दिल की ख्वाइश है इतनी सी,
खुले आँख तो तेरा साथ हो,
हो बंद तो तेरा ख्वाब हो!

अब तुम भी कुछ कहो ना....

ab tum bhi kuch kaho na....
एक आदत अजीब हो गई है,
तेरी यादों में हीं जीने की.
दुनिया से छिपा के अपने,
ग़मों को हँस के सीने की,
खोये खोये से होते हैं,
अक्सर मेरे रात और दिन,
भाता नहीं कुछ भी हमे,
हर ख़ुशी है सूनी मेरी तुम बिन,
तुम्हे देख लिया सब मिट गया,
फिर क्या भूख क्या नींद चैन,
तम्हारे होने से हीं सब कुछ है,
बिन तेरे सूने मेरे दिन रैन,
अब पास हो कर भी अनजान से,
यूँ तुम चुप रहो न,
सुन लिया न हाल मेरा,
अब तुम भी कुछ कहो ना!

खूबसूरत सी है दुनिया ये फिर, ज़िन्दगी क्यों इतनी अजीब है....

khubsurat si hai duniya ye fir......
खूबसूरत सी है दुनिया ये फिर,
ज़िन्दगी क्यों इतनी अजीब है,
ख्वाब देखने भी हमे,
खुद हीं ये सिखाती है,
दिल को आहट भी नहीं होती और,
इक पल में सब छीन लेती है,
पलकों के पीछे छिपे सपने,
अधूरे हीं रह जाते हैं,
किसे मिलनी है खुशियां कितनी,
हर एक का अपना नसीब है,
खूबसूरत सी है दुनिया ये फिर,
ज़िन्दगी क्यों इतनी अजीब है,
हर किसी को अपनी चिंता है,
पूरे करने कई सपने हैं,
दूसरों की कोई सोचता नहीं,
चाहे वो उसके अपने हैं,
भाग दौड़ पड़ी है हर जगह,
सब खुद में हीं उलझे हैं,
पर वक़्त हीं तय करता ये,
कौन किसके कितने करीब है,
खूबसूरत सी है दुनिया ये फिर,
ज़िन्दगी क्यों इतनी अजीब है!

ज़िदगी के आखिरी पलों में, ऐ खुदा बता देना कुछ पहले....

zindagi ke aakhiri palon me ay khuda bata dena kuch pehle....
ज़िदगी के आखिरी पलों में,
ऐ खुदा बता देना कुछ पहले,
जब साँसें टूटने को हों,
जब दिन बचे हो गिन के चार,
बाँट लूंगा मैं दर्द किसी के,
पा लुँगा थोड़ा और मैं प्यार,
आखिरी पल में तमाम उन लोगों का,
शुक्रिया कहना है जो,
बुरे वक़्त में मेरे साथ रहे,
उन अपनों को अलविदा है कहना,
जो हर ख़ुशी में मेरे पास रहे,
गम बांटे हँस कर मेरे,
हर वक़्त बने मेरे खास रहे,
सीखा वफ़ा के रंग जिनसे,
सीखा जिनसे मैंने हर व्यवहार,
है कहना उनसे इतना ही,
खुश रहना अब चलता हूँ यार,
ज़िदगी के आखिरी पलों में,
ऐ खुदा बता देना कुछ पहले,
जब साँसें टूटने को हों,
जब दिन बचे हों गिन के चार,
बाँट लूंगा मैं दर्द किसी के,
पा लुँगा थोड़ा और मैं प्यार!

दुनिया के रैन बसेरे में, जाने कितने दिन और रहना है....

duniya ke rain basere me jaane kitne din aur rehna hai..
दुनिया के रैन बसेरे में,
जाने कितने दिन और रहना है,
अगले पल में क्या होगा,
कुछ भी यहाँ है तय नहीं,
खुद को अगर जो जीत लिया,
तो उससे बड़ी कोई विजय नहीं,
रूठो न यहाँ पे किसी से तुम,
न किसी को खुद से रूठने दो,
संभाले रखो दिल को अपने,
उम्मीदें यूँ न टूटने दो,
अभी ख्वाब बहुत सजाने हैं,
जीने की चाहत रखनी हैं,
बांटनी हैं खुशियां जाने कितनी,
जाने कितने पीर सहने हैं,
दुनिया के रैन बसेरे में,
जाने कितने दिन और रहना है!

खुदा तू आज अपनी कलम से....

khuda tu aaj apni kalam se....
चैन नहीं ज़िंदगी में अब,
टूट रहे हर ख्वाब मेरे,
ख़ुशी भड़ी मेरी शामों को,
जैसे है बुरी कोई साया घेरे,
बदल दे अब किस्मत की चल,
तू अपने रहमो करम से,
थोड़ी खुशियाँ लिख दे नसीब में मेरे,
खुदा तू आज अपनी कलम से,
अजीब से ख्याल आते हैं मन में,
तनहा मैं जब भी होता हूँ,
बीती यादों में उलझ कर,
दिल ही दिल में रोता हूँ,
डर लगता है कहीं टूट न जाऊं,
मन के मेरे इस वहम से,
थोड़ी खुशियाँ लिख दे नसीब में मेरे,
खुदा तू आज अपनी कलम से,
मांग रहा हूँ उतना ही,
जितनी मेरी औकात है,
सुन ले अगर जो तू मेरी,
खुशियों की फिर हर रात है,
दर्द मिटा दे तू मेरे,
प्यार के अपने मरहम से,
थोड़ी खुशियाँ लिख दे नसीब में मेरे,
खुदा तू आज अपनी कलम से!

आ जाओ थोड़ी मैं हँसी चून दूँ, बीती यादों के पिटारे से....

aa jaao thodi main hansi chun dun beeti yaadon ke peetare se...
आ जाओ थोड़ी मैं हँसी चून दूँ,
बीती यादों के पिटारे से,
इतनी खुशियाँ देने पे भी,
गम के कभी तुम पास हो जाओ,
शोभा नहीं देता ये मुझको,
तुम मेरे होते उदास हो जाओ,
चेहरे की तेरे रंगत को,
हँसा के थोड़ा सँवार दूँ,
क्यों बैठी हो उदासी में,
पास आओ तुम्हे प्यार दूँ,
रौशनी भड़ दूँ ज़िंदगी में थोड़ी,
ले कर आसमाँ के सितारों से,
आ जाओ थोड़ी मैं हँसी चून दूँ,
बीती यादों के पिटारे से,
आओ तुम्हे मैं राज़ बताऊँ,
हर पल मैं हँसता हूँ कैसे,
रख पता हूँ एक सा ही,
हर वक़्त हँसी चेहरे पे कैसे,
सीखा दूँ तुम्हे गम को भूलना,
आँखों की नमी के पीछे,
की रास्ता तुम्हे खुशियों का दिखा दूँ,
ख्वाबों के नज़ारे से,
आ जाओ थोड़ी मैं हँसी चून दूँ,
बीती यादों के पिटारे से!

अब यादों में ही जीना तुम, मुलाक़ात ये आखरी है....

ab yaadon me hi jeena tum,mulaqat ye aakhri hai....
अब यादों में ही जीना तुम,
मुलाक़ात ये आखरी है,
अब ख्वाबों में ही ढूँढना,
बीतये जो दिन साथ में,
न हँस पता हूँ खुद में अब,
न हँसी तेरी मेरे हाथ में,
ये फैसला है दोनों का,
खुशियाँ भले हीं बिखड़ी है,
अब यादों में ही जीना तुम,
मुलाक़ात ये आखरी है,
निकले जो भी होठों से तेरे,
हँस के तेरी हर बात वो मानी,
आज तक थी तुम हक़ीक़त मेरी,
कल होगी तुम किस्सा पुरानी,
अब क्या पता कहीं मिल ही जाएँ,
हो जगह कोई वो अनजानी,
तो कल बस इतना कह देना,
ये सूरत है जानी पहचानी,
खत्म हो रहा रिश्ता पर,
ज़िंदगी ख्वाबों से निखड़ी है,
अब यादों में ही जीना तुम,
मुलाक़ात ये आखरी है!