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ख्वाबों से पलकों तक आती, रौशनी वो धीमी सी....

khwabon se palkon tak aati raushni wo dhimi si....
ख्वाबों से पलकों तक आती,
रौशनी वो धीमी सी,
कर देती बेताब दिल को,
यादें वो सहमी सहमी सी,
राहें तेरी देख देख,
कई सावन यूँही बीत गए,
बेबस और लाचार हो के,
यादों के मौसम रीत गए,
फिर भी दिल में एक तू ही है,
होठों पे इक बस नाम तेरा,
दिल धड़कन संग मेरी तड़पन,
सुबह तेरी मेरा शाम तेरा,
टूक टूक देखे एक तुझे बस,
आँखों में अजब बेशर्मी सी,
ख्वाबों से पलकों तक आती,
रौशनी वो धीमी सी,
कर देती बेताब दिल को,
यादें वो सहमी सहमी सी!

तुम्हारे पास तो चलो तुम हो, मेरे पास तो मैं भी नहीं....

tumhare paas to chalo tum ho mere paas to main bhi nahi....
तुम्हारे पास तो चलो तुम हो,
मेरे पास तो मैं भी नहीं,
घुमा शहर हर गाँव गाँव,
पर दूजा न तुझसे पा सके,
व्यस्त भी हो गए आज में,
पर तुझको न भूला सकें,
हर बार कहा तुझसे ये की,
मेरी ख़ुशी है तुझमे ही,
पर मेरी भी चाहत थी कुछ,
ये न तुझे हम बता सके,
दर्द रहा बरक़रार दिल में,
सोचते रहे तुमसे कहें की नहीं,
तुम्हारे पास तो चलो तुम हो,
मेरे पास तो मैं भी नहीं,
कभी हँस दिया यूँही कभी,
कभी ख़ुशी में तेरी खुश हो लिए,
नाराज़ हो लिए तुझसे कभी तो,
कभी संग में तेरे जी लिए,
समझाया कभी तुझे कुछ तो,
कभी समझने की भी कोशिश की,
दिल ने कहा बस इतना ही,
जब ख्वाबों ने रंजिश की,
कब तक जियेंगे हम ऐसे,
तारीख कोई क्यूँ तय नहीं,
तुम्हारे पास तो चलो तुम हो,
मेरे पास तो मैं भी नहीं!

अगर ज़िंदगी खाली खाली है, इक बार प्यार कर लो....

agar zindagi khali khali hai ik baar pyar kar lo....
अगर ज़िंदगी खाली खाली है,
इक बार प्यार कर लो,
ज़िद्द का कोई सवाल नहीं,
दिल से निकली ये बातें हैं,
वक़्त का अलग ये मोड़ है,
नए प्यार की शुरुआतें है,
ख्वाब लिए पलकों में ये,
जागती है हर पल में,
सोने भी ना देती अब ये,
नादान सी लगती रातें हैं,
अगर सूने हैं दिन तेरे भी,
संग मेरे थोड़ा संवर लो,
अगर ज़िंदगी खाली खाली है,
इक बार प्यार कर लो!

सच कहुँ तुम जो आये तो, जीने का नया बहाना मिला.....

sach kahun tum jo aaye to jeene ka naya bahana mila....
सच कहुँ तुम जो आये तो,
जीने का नया बहाना मिला,
बिखड़ा सा रहता था मन,
कुछ ख्वाबों के टूटने के बाद,
सहमा सा रहता था दिल,
कर के हर बार उसको याद,
फिर यूँ अचानक तुम मिल गए,
यूँ लगा दिल में शांत पड़े,
अरमानो के फूल खिल गए,
लम्हों को नयी यादें मिली,
दिल को नया ठिकाना मिला,
सच कहुँ तुम जो आये तो,
जीने का नया बहाना मिला,
रखा न तुम्हे अँधेरे में,
हर बात तुम्हे बस बता दी,
दिल की जो भी हसरतें थीं,
यूँही अचानक जता दी,
फिर साथ तुम्हारा मिला मुझे,
पर दूरियों के एहसास में,
देखा तुझे चोर नज़रों से,
रहे जब भी तुम पास में,
चाहत नयी मिली मुझको पर,
वफ़ा का रंग पुराना मिला,
सच कहुँ तुम जो आये तो,
जीने का नया बहाना मिला!

दोनों यूँही अपने सफर में गुम, तुझसे दूर मैं मुझसे दूर तुम.......

dono yunhi apne safar me goom......
दोनों यूँही अपने सफर में गुम,
तुझसे दूर मैं मुझसे दूर तुम,
ख्वाब न क्यूँ अब आते तेरे,
पूछा ये अपनी नींदों से,
ढूंढा तुझको जहाँ में बहुत,
तेरा पता भी पूछा परिंदो से,
कोशिशें भी की बहुत,
तेरे बारे में जान लेने की,
फिर समझाया खुद को ये भी,
तुझे गैर मान लेने की,
तब कहीं जा कर दिल ये,
बस थोड़ा सा संभला है,
अब पूछता जो हाल तेरा तो,
कह देता मुझे क्या मालूम,
दोनों यूँही अपने सफर में गुम,
तुझसे दूर मैं मुझसे दूर तुम,
व्यस्त तो मैं भी हूँ लेकिन,
इतना भी नहीं की तुझे भुला दूँ,
सहारा है तेरी यादों का,
इतना दम नहीं की उन्हें मिटा दूँ,
जिक्र करता हूँ आज भी सब से,
तू क्या जाने तेरी कितनी,
कहते हैं सब भूल गई होगी,
तुझे कहाँ मेरी कदर थी इतनी,
पर दिल अब भी स्वीकारे न,
तू व्यस्त है अपने आज में इतनी,
कुर्बान कर दी ज़िन्दगी तुझपे,
और तू बनी फिरती मासूम,
दोनों यूँही अपने सफर में गुम,
तुझसे दूर मैं मुझसे दूर तुम!

तेरे होठों से मेरा नाम सुने, सच में यार बहुत दिन हो गए....

tere hothon se mera naam sune,sach me yaar bahot din ho gaye..
तेरे होठों से मेरा नाम सुने,
सच में यार बहुत दिन हो गए,
सुनता हु तेरी ही सदा,
मेरी रूह की रूठी आंहों में,
यादें दस्तक देती है,
सपनो के हर चौराहों पे,
बेशक गम है तुझे खोने का,
पर इतना भी नहीं की रोता ही रहुँ,
सपनों की चाहत अब भी है,
पर इतना भी नहीं की सोता ही रहुँ,
बस आ जाती है यादें कभी,
फिर कहता हु खुद से ही,
की अपने खली पल में तुम्हे,
पुकारे कितने दिन हो गए,
तेरे होठों से मेरा नाम सुने,
सच में यार बहुत दिन हो गए,
चाहत नहीं थी बीते कभी,
दिन कोई मेरे तुम बिन,
पर ज़िद्द ने तेरी बदल दिया,
सीखा ही दिया जीना तुम बिन,
मान लिया ये फर्क था तेरे,
और मेरे तक़्दीरों में,
तभी तो जी रहा हु मैं,
पुराने उन्ही तश्वीरों में,
की खुली आँखों से देखे तुझे,
न जाने कितने दिन हो गए,
तेरे होठों से मेरा नाम सुने,
सच में यार बहुत दिन हो गए!

जब कहती हो की मेरी हो, एक सुकून मिलता है सुन के...

जब कहती हो की मेरी हो,
एक सुकून मिलता है सुन के,
तेरी चाहत में रहता दिल ये,
तेरे ख्वाबों में ही सोता है,
तुम हो हर पल करीब मेरे,
एहसास ये जब भी होता है,
बज उठती है दिल में शहनाई,
दिल याद नए संजोता है,
हदों में अपनी रह के हर बार,
खुश रहता है खुद में ही,
बस साथ तुम्हारे जीने के,
ख्वाब ये पलकों में बुन के,
जब कहती हो की मेरी हो,
एक सुकून मिलता है सुन के,
हर गम में हर ख़ुशी में मेरे,
संग होने का वादा है,
थाम के तुझको हर डगर में,
संग चलने का इरादा है,
तुझ बिन ज़िंदगी सूनी लगती,
हर ख़ुशी मेरी जैसे आधा है,
खामोशियों को तोड़ कभी,
कह दे अगर कोई बाधा है,
सजा दूंगा कल को तेरे,
रंग वफ़ा के जहाँ से चुन के,
जब कहती हो की मेरी हो,
एक सुकून मिलता है सुन के!

कल फिर तुमसे मुहब्बत होगी, कल फिर से कुछ गीले होंगे....

kal fir tumse muhabbat hogi..
कल फिर तुमसे मुहब्बत होगी,
कल फिर से कुछ गीले होंगे,
ख्वाबों  का वो कारवां होगा,
फिर से वही सिलसिले होंगे,
तू दूर हो गई बेशक पर,
बदला न मेरा इरादा है,
फिर दिल मेरा कैसे भड़े जब,
सात जन्मों का तुमसे वादा है,
अगले जन्म में भी यूँही,
राहें तकूँगा मैं तेरी,
चल इस जन्म में ना सही,
अगली दफा तू होगी मेरी,
फूल ये वफाओं के जहां में,
कहाँ ऐसे कभी खिले होंगे,
कल फिर तुमसे मुहब्बत होगी,
कल फिर से कुछ गीले होंगे,
ख्वाबों का वो कारवां होगा,
फिर से वही सिलसिले होंगे,
तू दूरियों में बेशक रह,
पर दिल में तू ही रहेगी,
मैं हारने वाला नहीं,
चाहे तू कुछ भी कहेगी,
समझाएगी तू तुम बिन जीने,
या संभलने को कहेगी,
चाहे लाख कोशिश करेगी तू,
पर दिल में तू ही रहेगी,
मैं राहें तेरी देखूंगा,
आखिरी सांस के टूटने तक,
शाम के ढलने से ले के,
सुबहों की लाली फूटने तक,
याद रखेगा जहाँ हमें,
कहाँ ऐसे दिल मिले होंगे,
कल फिर तुमसे मुहब्बत होगी,
कल फिर से कुछ गीले होंगे,'
ख्वाबों का वो कारवां होगा,
फिर से वही सिलसिले होंगे!

हँसते मुस्कुराते से हम और, लड़खड़ाती सी ये ज़िंदगी........

haste muskurate se hum aur ladkhadati si ye zindgi..
मेरे छोटे से सपने और,
उन्हें चिढ़ाती ये ज़िंदगी,
हँसते मुस्कुराते से हम और,
लड़खड़ाती सी ये ज़िंदगी,
ख्वाइशें वो आज भी,
दिल की वो  छोटी बड़ी मस्ती,
बारिश का वो पानी आज भी,
तैरती उसमे कागज की कश्ती,
यादें पुरानी बचपन की,
सोच कर मुस्कुराती ज़िंदगी,
हँसते मुस्कुराते से हम और,
लड़खड़ाती सी ये ज़िंदगी,
समझाना वो पापा का हमे,
मम्मी का वो डांटना,
उदास होने पर मेरे,
पास आ कर गम मेरे बांटना,
सोच दिन बचपन के यही,
इतराती सी ये ज़िंदगी,
हँसते मुस्कुराते से हम और,
लड़खड़ाती सी ये ज़िंदगी,
बचपन का वो प्यार अधूरा,
वादे वो सात जन्मों के,
झूठे वफ़ा के किस्से वो,
संग में जीने मरने के,
सोच के वो बचकानी हरकत,
शर्माती सी ये ज़िंदगी,
हँसते मुस्कुराते से हम और,
लड़खड़ाती सी ये ज़िंदगी,
बेशक हारे कई बाज़ी पर,
न आई कमी हौसले में,
पर दिल से जब सोचने लगे,
उलझ से गए हर फैसले में,
संभलते से ये कदम मेरे,
भटकाती सी ये ज़िंदगी,
हँसते मुस्कुराते से हम और,
लड़खड़ाती सी ये ज़िंदगी!

भले तुझसे कुछ न चाहा है, पर सिर्फ तुझे ही चाहा है......

bhale tujhse kuch na chaha hai par sirf tujhe hi chaha hai...
भले तुझसे कुछ न चाहा है,
पर सिर्फ तुझे ही चाहा है,
दिल से दिल बातें की हमने,
बिन जाने लबों का इज़हार क्या है,
बस तुझपे ही रुकी है नज़र,
जब से जाना की प्यार क्या है,
नींदें मेरी बेशक हैं पर,
ख्वाबों में एक बस तेरी चाहत,
तुझसे हीं लबों की बेचैनी,
तुझसे हीं धड़कन को राहत,
बताया तो नहीं कभी हमने,
न दिखने दिया है चेहरे पर,
भूल के हालातों को अपने,
तुझे हर पल में सराहा है,
भले तुझसे कुछ न चाहा है,
पर सिर्फ तुझे ही चाहा है,
सोचते हैं मेरा क्या वजूद होता,
मिलता जो न मैं तुझसे अगर,
चाहा है दिल ही दिल में,
बेशक लब खामोश रहें पर,
जब भी झुकी हैं नज़रें,
सजदे में रब के आगे,
भूल कर सब कुछ हमने,
बस एक तुझे हीं माँगा है,
भले तुझसे कुछ न चाहा है,
पर सिर्फ तुझे ही चाहा है!

रिश्ता यही होगा तुमसे, हालात चाहे कैसे भी हों.....

rista yahi hoga tumse,halat chahe kaise bhi ho.....
रिश्ता यही होगा तुमसे,
हालात चाहे कैसे भी हों,
एक अजीब सी चाहत है तुझसे,
जो शब्दों में न ढल पाती,
रिश्ता कुछ ऐसा है तुझसे,
जिसके बिन न धड़कन चल पाती,
तू खुश हो तो मैं भी हँस दूँ,
अगर तू उदास तो मैं भी चुप,
हर बात तेरी दिल को भाती,
जैसे भाती सर्दी की धूप,
बस यही प्यार बनाये रखना,
जज़्बात चाहे कैसे भी हों,
रिश्ता यही होगा तुमसे,
हालात चाहे कैसे भी हों,
दिल बाग़ बाग़ हो जाता जब,
परवाह तू मेरी करती है,
बिलकुल अपना सा लगता है,
जब यूँही तू मुझसे झगड़ती है,
पर कोशिशें सारी मेरी,
इक पल में फींकी लगती है,
जब कभी तू टूट कर,
मेरे पास आ कर रोती है,
दुआ है तू खुशियों में रहे,
चाहे मुझसे दूरियों में रहे,
कदर दिल में हर बार रहेगी,
मुलाक़ात हो चाहे ना भी हो,
रिश्ता यही होगा तुमसे,
हालात चाहे कैसे भी हों!

तुझको क्या लगता दिल मेरे, क्या गम एक तुझी को है......

tujhko kya lagta dil mere,kya gum ek tujhi ko hai...
तुझको क्या लगता दिल मेरे,
क्या गम एक तुझी को है,
भीड़ देख दुनिया की तू,
यहाँ पे कितने चेहरे हैं,
कहीं आग नफरत की है तो,
कहीं रंग वफ़ा के सुनहरे हैं,
कोई टूटा है सपनो से तो,
कोई रूठा है यहाँ अपनों से,
पूछ अगर तो हो मालूम,
हर दिल में ज़ख़्म गहरे हैं,
हैरान क्यूँ है दुनिया से तू,
पलकें इतनी बुझी क्यूँ है,
तुझको क्या लगता दिल मेरे,
क्या गम एक तुझी को है,
तू कहता है खुश उन्हें,
जो हसते तुझको दीखते हैं,
अब तुझको क्या मालूम है वो,
गम दिल में अपने रखते हैं,
जानता है हर बात को तू,
समझता है हालातों को,
फिर क्यूँ खामोश है रहता तू,
तोड़ दिल के जज़्बातों को,
सोच ज़रा तू उदास है क्यूँ,
ज़िन्दगी इतनी उलझी क्यूँ है,
तुझको क्या लगता दिल मेरे,
क्या गम एक तुझी को है!

अब कहुँ क्या तुझसे हाल-ए-दिल, बस ऐसा पहले कभी न हुआ......

aisa pehle kabhi na hua.....
अब कहुँ क्या तुझसे हाल-ए-दिल,
बस ऐसा पहले कभी न हुआ,
धड़कनों में एक बेचैनी है,
पलकों में अलग एक हया है,
साज़िश है ख्वाबों की ये,
हर एहसास हीं जैसे नया है,
कहाँ किसी की बातों ने अब तक,
दिल को मेरे ऐसे था छुआ,
अब कहुँ क्या तुझसे हाल-ए-दिल,
बस ऐसा पहले कभी न हुआ,
उलझनों ने जैसे मिल गई मुक्ति,
सँवरने लगे तेरे करीब आ के,
भूलने लगे अपने ग़मों को,
एक बस तुझको पा के,
पा के तुझको पूरे हो गए,
कहाँ कोई बाकी रही दुआ,
अब कहुँ क्या तुझसे हाल-ए-दिल,
बस ऐसा पहले कभी न हुआ!

हम भारत के वासी हैं........

hum bharat ke vasi hain....
जहाँ दिलों में जीत की,
दिखती हर पल आँधी है,
जहाँ रिश्तों ने खुद में ही,
एक गाँठ ऐसी बाँधी है,
सुकून है जहाँ की मिट्टी में,
यादों में महात्मा गाँधी है,
हम उसी देश के वासी है,
जहाँ अनजाने लोगों को भी,
हम भाई कह के बुलाते हैं,
जहाँ नीम की शीतल छाव में,
देवताओं को अब भी झूलते हैं,
जहाँ बच्चों को लोरियों में हम,
ज्ञान की बात बताते हैं,
और जहाँ बहन की रक्षा में,
भाई अब भी प्राण गवाते हैं,
हम उसी देश के वासी है,
जिस देश में पेड़ के नीचे बैठ,
बुद्धा ने पूरा ज्ञान पाया,
जहाँ सीता माँ की खोज में,
हनुमान ने भूला ध्यान पाया,
जहाँ पे कृष्ण की कृपा से,
द्रोपदी ने खोया मान पाया,
और जहाँ देश की रक्षा में,
वीरों ने हँस के प्राण गवाया,
हम उसी देश के वासी है,
जिस देश में नदियों से भी,
लोग रिश्ते जोड़ा करते हैं,
और जहाँ पे सूनी रातों में हम,
चाँद से बातें करते हैं,
हम उसी देश के वासी है,
जिस देश के लोगों ने हँस के,
दुश्मन से प्यार जताया है,
लाख गीले हों दिल में पर,
मिल कर ख़ुशी दुहराया है,
हम वो नहीं जो लांघ शरहदें,
घुसते रहें दूजे मुल्कों में,
हमने तो पहली कोशिश में,
मंगल पर पैर जमाया है,
हम उसी देश के वासी है,
जहाँ मौसमों को देख लगता,
कितना ये मधुर अभिलाषी है,
हर बार गर्व होता कह के,
की हम भारत के वासी हैं!