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अब से जल्दी सोया करेंगे, मोहब्बत छोड़ दी मैंने..



अब लगता है यूँ मन मेरा,
थोड़ा शांत सा है हो गया,
मिल गया वो सुकून भी,
जो था कहीं पे खो गया,
उलझा था कुछ ऐसे की,
खुद को भी भूल बैठा था,
सुबह शाम दिन रात सब,
उसके नाम कर बैठा था,
वादों से बंधी जंजीर थी एक,
जो अब तोड़ दी मैंने,
अब से जल्दी सोया करेंगे,
मोहब्बत छोड़ दी मैंने,
कहती थी दुनिया मुझसे,
खुद से ज़्यादा न चाह किसी को,
सब अपने आप में उलझे हैं,
यहाँ प्यार की न परवाह किसी को,
देख बस तू सपने और,
राहें खुद अपनी बनाता चल,
टूटे मन जो कभी कहीं,
तो खुद मन को समझाता चल,
सुन लिया और समझ भी लिया,
सब भूल के जो अब तक किया,
बस अपने ख्वाबों की ओर,
ज़िन्दगी को नयी राह मोड़ दी मैंने,
अब से जल्दी सोया करेंगे,
मोहब्बत छोड़ दी मैंने..pankaj

बहुत जी लिया माँ दूर तेरे से, कुछ पल हीं साथ आ जाओ न..


आँगन का कण कण है पावन,
छू कर माटी तेरे चरणों की,
मन भूखा है प्रण भूखा,
दिल भूखा तेरे शरणों की,
आ के उन यादों को हीं,
सहज भाव दे जाओ न,
बहुत जी लिया माँ दूर तेरे से,
कुछ पल हीं साथ आ जाओ न,
जाने का जादू होता माँ,
तेरे हाथों की उन रोटी में,
गुस्से में भी प्यार था तेरे,
गलती मेरी बड़ी या छोटी में,
आज अपनी गलती पे खुद को,
समझाना मुश्किल लगता है,
तेरे और मेरे समझाने में,
है फर्क समझ मुझे आता है,
इक बार फिर मेरी गलती पे,
डाँट कर थोड़ा समझाओ न,
बहुत जी लिया माँ दूर तेरे से,
कुछ पल हीं साथ आ जाओ न,
कभी नींद नहीं आती रातों में,
कभी डरता हूँ बुरे सपनो से,
गैरों में भी खुश नहीं हूँ,
और बचता भी हूँ अपनों से,
एक ज़िद्द है कुछ पाने की,
तुम्हारे उम्मीदों पर उतर जाने की,
रख दूँ क़दमों में तेरे ला के,
सारी खुशी इस ज़माने की,
फिलहाल फ़ोन हीं करता हूँ,
कोई लोड़ी हीं आज सुनाओ न,
बहुत जी लिया माँ दूर तेरे से,
कुछ पल हीं साथ आ जाओ न!

वो ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं, जिसमे न कोई उम्मीद हो....

चाहे ज़िद्द हो ज़िंदगी से बड़ी या,
आसमां के सैकड़ों तारे हों,
वो हौसलें हारेंगे कैसे,
जो खुद से कभी न हारे हों,
है लगन अगर जो सच्ची दिल में,
तो मंज़िल पा कर हीं दम लेंगे,
किस्मत से ज़्यादा चाह नहीं पर,
उम्मीद से भी न कम लेंगे,
ये कदम नहीं अब रुकने वाले,
तनहा रहें फिर भी चलेंगे,
जीत सुनिश्चित नहीं है फिर भी,
आखिरी दम तक डट के लड़ेंगे,
सैकड़ों रातें काट लीं तनहा,
फिर अंधेरों से क्या हीं डरेंगे,
साँसें सलामत रहें बस मेरी,
ज़ख्मों को खुद से हीं भडेंगे,
भला वैसे भी कोई जीना है,
जिसमे न कोई ज़िद्द हो,
वो ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं,
जिसमे न कोई उम्मीद हो,
मौक़े यहाँ सबको हैं मिलते,
बारी सब की यहाँ पे आनी है,
उदहारण तू खुद तय कर ले,
जहान में इतनी तो कहानी है,
बिन कोशिश के ही हार जाना,
ये तो खुद से हीं बेईमानी है,
आज जो बिखड़ रहे तेरे फैसले से,
जिन जिन को आज हैरानी है,
कल जब जीतेगा तू देखना
सब कहेंगे
ये सूरत जानी पहचानी है,
भटका मत अपने मन को तू,
हौसलों को ना मरने दे,
बस धीरज रख मन में और,
क़दमों को बस चलने दे,
भूख मंज़िल की दब गई जो दिल में,
क्या करेगा जीत के फिर,
अगर तेरी खुद की 
साँसें हीं न तेरी मुरीद हो,
वो ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं,
जिसमे ना कोई उम्मीद हो..

बड़ी लम्बी गुफ्तगू करनी है, तुम आना एक पूरी ज़िंदगी ले कर....


शिकवें भी हैं तुमसे और,
किस्से भी हैं कुछ वही पुराने,
धड़कन भी कुछ शांत पड़ी है,
आ जाओ कभी तुम इसे चुराने,
बदले से दिन रात हैं अब,
बिखड़े से मेरे जज़्बात हैं अब,
रूठे रूठे हैं खुद से हीं,
आ जाओ ना तुम मुझे मनाने,
आओ तो कुछ नयी बात बताएं,
कुछ किस्से तुमसे जुदाई के,
बाँटें थोड़ा सुकून भी,
तुमसे अपनी तन्हाई के,
तुम आना तो फुर्सत में आना,
जाने की हर ज़िद्द भुला कर,
शुरूआती दिनों में थी जो भी,
चेहरे पे वही ताज़गी ले कर,
बड़ी लम्बी गुफ्तगू करनी है,
तुम आना एक पूरी ज़िंदगी ले कर!
कई दिन गुज़र गए तुम्हें सोचते,
कई रातें बीती तारे गिन गिन,
तुम आओ तो तुम्हें बताये सब,
दिन कैसे कैसे बिताये तुम बिन,
तुम चले गए पर दिल मेरा,
यादों से तेरी रहा आबाद,
सुनाये तुम्हें हर वो कविता अपनी,
कितना कुछ लिखा है तेरे बाद,
दिल को कैसे समझाएं जिसे,
खुद में सिमट के सोना भी है,
ख्वाइशें हँसने की है और,
तुझसे लिपट के रोना भी है,
खैर इसे तुम हीं समझा देना,
शायद तेरी ये सुन भी ले,
बस उम्मीदें मत दे जाना कोई,
वरना फिर ख्वाब नया ना ये बुन ले,
तुम कुछ नहीं एक काम करना,
थोड़े से फुर्सत में आना,
खुशियां अब भी अपनी
तुम्हारे नाम कर देंगे,
तुमसे तुम्हारी नाराज़गी ले कर,
बड़ी लम्बी गुफ्तगू करनी है,
तुम आना एक पूरी ज़िंदगी ले कर!