थोड़ा शांत सा है हो गया,
मिल गया वो सुकून भी,
जो था कहीं पे खो गया,
उलझा था कुछ ऐसे की,
खुद को भी भूल बैठा था,
सुबह शाम दिन रात सब,
उसके नाम कर बैठा था,
वादों से बंधी जंजीर थी एक,
जो अब तोड़ दी मैंने,
अब से जल्दी सोया करेंगे,
मोहब्बत छोड़ दी मैंने,
कहती थी दुनिया मुझसे,
खुद से ज़्यादा न चाह किसी को,
सब अपने आप में उलझे हैं,
यहाँ प्यार की न परवाह किसी को,
देख बस तू सपने और,
राहें खुद अपनी बनाता चल,
टूटे मन जो कभी कहीं,
तो खुद मन को समझाता चल,
सुन लिया और समझ भी लिया,
सब भूल के जो अब तक किया,
बस अपने ख्वाबों की ओर,
ज़िन्दगी को नयी राह मोड़ दी मैंने,
अब से जल्दी सोया करेंगे,
मोहब्बत छोड़ दी मैंने..pankaj