![]() |
main aaj bhi is umar me bachpan apna jee leta hun.... |
नयी यादें गढ़ लेता हूँ,
तो कभी दीवार पर लिखे,
वो सुविचार पढ़ लेता हूँ,
कभी बच्चों सी ज़िद्द पाले,
घर वालों से लड़ लेता हूँ,
तो कभी पूल पर रुक कर के,
रेलगाड़ियों के डिब्बे गीन लेता हूँ,
मैं आज भी इस उम्र में,
बचपन अपना जी लेता हूँ,
कभी भींगने से डरता हूँ तो,
कभी बारीश में भीग लेता हूँ,
कभी माँ मुझे डांटती है तो,
चुप हो के सुन लेता हूँ,
कभी कभी मस्ती में यूँही,
ऊँचे पेड़ों पे चढ़ लेता हूँ,
मैं आज भी इस उम्र में,
बचपन अपना जी लेता हूँ,
कभी घर की छत पे चढ़,
पतंगबाजी कर लेता हूँ,
तो कभी गली के बच्चों संग,
क्रिकेट हीं खेल लेता हूँ,
कभी बारिश के पानी में,
कागज की नाव दौड़ा लेता हूँ,
तो कभी झील के पानी में,
कोई कंकड़ हीं फेंक लेता हूँ,
मैं आज भी इस उम्र में,
बचपन अपना जी लेता हूँ!