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मैं अब भी तेरे पीछे अपना, वक़्त ज़ाया करता हूँ....


मैं अब भी तेरे पीछे अपना,
वक़्त ज़ाया करता हूँ,
जाने क्या कर गई ऐसा तू की,
चाह के भी मैं संभल न पाया,
बदल गए हालात मेरे पर,
मैं खुद को कभी बदल न पाया,
कोशिशें ज़ारी रखी,
कहीं और दिल लगाने की पर,
हाथ थामे किसी और का,
२ कदम भी मैं चल न पाया,
सुकून की तलाश में खुद को,
अब भी सताया करता हूँ,
मैं अब भी तेरे पीछे अपना,
वक़्त ज़ाया करता हूँ,
मेरी ज़िंदगी में कोई याद नहीं,
जिसमे न जिक्र तुम्हारा हो,
कोई लम्हा कोई पल नहीं,
जिसमे न फिक्र तुम्हारा हो,
जारी हर पल यादों का दौर,
हर वक़्त हमारे दिल में है,
बेशक सिमटी है यादों में तू,
पर कमी तेरी महफ़िल में है,
तू थी कभी अब मैं खुद हीं,
खुद को सताया करता हूँ,
वक़्त के हाथों मैं खुद को,
हर पल आज़माया करता हूँ,
मैं अब भी तेरे पीछे अपना,
वक़्त ज़ाया करता हूँ,
यादों में रखता हूँ हर पल,
तेरे साथ गुजरे दिनों को,
व्यस्त भी रखता हूँ हर पल,
दिल दिमाग धड़कन तीनो को,
फिर भी मन के किसी कोने में,
तेरी याद आ जाया करती है,
लाख सम्भालो दिल को पर,
धड़कन खो जाया करती है,
तब खुद से खुद के गम अपने,
शब्दों में बताया करता हूँ,
मैं अब भी तेरे पीछे अपना,
वक़्त ज़ाया करता हूँ..pankaj

मुश्किलों को हराते है, चलो मुस्कुराते हैं....

मुश्किलों को हराते है,
चलो मुस्कुराते हैं,
उदासियों में रखा है क्या,
आओ थोड़ी खुशियाँ बांटते हैं,,
वर्षों पुराने ज़ख्मों को,
खुशियों से मात देते हैं,
बस तारीफें दुनिया से ले के,
हर तानों को ठुकराते हैं,
मुश्किलों को हराते है,
चलो मुस्कुराते हैं,
कल की उम्मीद पलकों में लिए,
इस सोच से आगे बढ़ते हैं,
लेते हैं थोड़ा उनसे हौसला,
जो नित्य पहाड़ चढ़ते हैं,
कुछ हौसला समंदर से भी,
जो पर्वत को भी घिसते हैं,
कुछ हौसलें नदियों से भी,
जो झरनों में से रिसते हैं,
ले कर सब उधर आज सब से,
कदम हम आगे बढ़ाते हैं,
अपनी हँसी के बीच में अपने,
हालात को आज छुपाते हैं,
मुश्किलों को हराते है,
चलो मुस्कुराते हैं,
कोई छीन नहीं सकता मुझसे मेरा,
जो मेरा नहीं वो खो के रहेगा,
गीता में भी साफ़ लिखा है,
जो होना है वो हो के रहेगा,
फिर क्यों कल की चिंता में,
आज को अपने खो देना,
जिन पलकों ने ख्वाब देखे इतने,
क्यों इनको है भिगो देना,
आओ सब कुछ को भुला के फिर से,
खुद को थोड़ा आज़माते हैं,
मुश्किलों को हराते है,
चलो मुस्कुराते हैं....pankaj