ads

हारना नहीं मेरे बेटे तुम, पापा ने इतना हीं सिखाया है....

haarna nahi mere bete tum papa ne itna hin sikhaya hai..
हारना नहीं मेरे बेटे तुम,
पापा ने इतना हीं सिखाया है,
हार कभी न मानना,
देख क मुश्किल राहों की,
तनहा हो के भी गम ना करना,
सूने होते बाँहों की,
बस कोशिशें जारी रखना,
यूँ हार के ना पीछे हटना,
चाहे भूल जाना सब कुछ तुम,
पर बात यही एक याद रखना,
छीन नहीं सकता तुझसे कोई,
जो तू नसीब में ले के आया है,
हारना नहीं मेरे बेटे तुम,
पापा ने इतना हीं सिखाया है,
तोलना मत यहाँ खुद को किसी से,
खुद को औरों से अलग हीं रखना,
रुक जाए कदम पर थमे ना हौसलें,
क़दमों का तो बस काम है थकना,
सपने वही जो खुद कर सको पूरा,
किसी की आस पे ना रुक जाना,
टूटने ना देना रिश्तों को,
बेशक चाहे तुम झुक जाना,
कुछ जायेगा नहीं ज़िंदगी के साथ,
फिर गुरूर भला किस बात का,
पूरी ज़िंदगी साथ रहेगा बस,
मेहनत से जो भी कमाया है,
हारना नहीं मेरे बेटे तुम,
पापा ने इतना हीं सिखाया है!

छोटी सी तो ज़िन्दगी है यार, क्या तेरा रूठना जरूरी है....

choti si to zindagi hai yaar kya tera roothna jaroori hai....
छोटी सी तो ज़िन्दगी है यार,
क्या तेरा रूठना जरूरी है,
जानती है तू भी इतना तो,
कि कितना तुजपे मरता हूँ,
क्या कोई चाहेगा तुझे,
जितना तुझे प्यार करता हूँ,
इक यही ख्वाइश है मेरी,
जो वर्षों से कहनी थी तुझसे,
जान भी ले अब मुझको तू,
और दिल लगा ले तू मुझसे,
समा जा उन धड़कनों में जहाँ,
मेहफ़ूज़ तू पूरी पूरी है,
छोटी सी तो ज़िन्दगी है यार,
क्या तेरा रूठना जरूरी है,
कितनी बार कहा है तुमसे,
मेरो बेवजह की बातों में,
हर बार न मतलब ढूंढा कर,
हर पल है दिल में चाह तेरी,
इस चाहत को न परखा कर,
आ कर मिटा दे फासलें,
सदियों से जो हम मे दूरी है,
छोटी सी तो ज़िन्दगी है यार,
क्या तेरा रूठना जरूरी है!

तुमसे रूठ कर भी, तुमसे हीं प्यार करते हैं, हमे तो ठीक से, नाराज़ होना भी नहीं आता....

tumse rooth kar bhi tumse hin pyar karte hain,hume to thik se naraz hona bhi nahi aata..
तुमसे रूठ कर भी,
तुमसे हीं प्यार करते हैं,
हमे तो ठीक से,
नाराज़ होना भी नहीं आता,
इश्क़ की ये गुमनाम राहें,
रास नहीं थी हमे कभी,
बस देखते थे छुप के तुम्हे,
न सोचा था चाहेंगे कभी,
अब चाह लिया है तुमको तो,
निभाएंगे वफ़ा भी तुमसे हीं,
मनाएंगे बेशक हम तुम्हे,
तो होंगे खफा कभी तुमसे हीं,
अब सच कहूँ तो तुम्हारे सिवा,
हमे जहाँ में कुछ नहीं भाता,
तुमसे रूठ कर भी,
तुमसे हीं प्यार करते हैं,
हमे तो ठीक से,
नाराज़ होना भी नहीं आता,
एक उमंग में जीता हूँ हर पल,
तेरे साथ का हीं ये असर है,
हाथ जो थामे तू चले फिर,
हर दर्द हीं बेअसर है,
यूँ लगता दुनिया हो गई पराई,
एक बस तुझसे हीं मेरा नाता,
तुमसे रूठ कर भी,
तुमसे हीं प्यार करते हैं,
हमे तो ठीक से,
नाराज़ होना भी नहीं आता!