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मैं अब भी तेरे पीछे अपना, वक़्त ज़ाया करता हूँ....


मैं अब भी तेरे पीछे अपना,
वक़्त ज़ाया करता हूँ,
जाने क्या कर गई ऐसा तू की,
चाह के भी मैं संभल न पाया,
बदल गए हालात मेरे पर,
मैं खुद को कभी बदल न पाया,
कोशिशें ज़ारी रखी,
कहीं और दिल लगाने की पर,
हाथ थामे किसी और का,
२ कदम भी मैं चल न पाया,
सुकून की तलाश में खुद को,
अब भी सताया करता हूँ,
मैं अब भी तेरे पीछे अपना,
वक़्त ज़ाया करता हूँ,
मेरी ज़िंदगी में कोई याद नहीं,
जिसमे न जिक्र तुम्हारा हो,
कोई लम्हा कोई पल नहीं,
जिसमे न फिक्र तुम्हारा हो,
जारी हर पल यादों का दौर,
हर वक़्त हमारे दिल में है,
बेशक सिमटी है यादों में तू,
पर कमी तेरी महफ़िल में है,
तू थी कभी अब मैं खुद हीं,
खुद को सताया करता हूँ,
वक़्त के हाथों मैं खुद को,
हर पल आज़माया करता हूँ,
मैं अब भी तेरे पीछे अपना,
वक़्त ज़ाया करता हूँ,
यादों में रखता हूँ हर पल,
तेरे साथ गुजरे दिनों को,
व्यस्त भी रखता हूँ हर पल,
दिल दिमाग धड़कन तीनो को,
फिर भी मन के किसी कोने में,
तेरी याद आ जाया करती है,
लाख सम्भालो दिल को पर,
धड़कन खो जाया करती है,
तब खुद से खुद के गम अपने,
शब्दों में बताया करता हूँ,
मैं अब भी तेरे पीछे अपना,
वक़्त ज़ाया करता हूँ..pankaj

4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Waah Pankaj bhai

Unknown ने कहा…

Thanks bhai

Unknown ने कहा…

Grt vi dil ko chu gya kuch purani yadein taza kr k chala gya ye poem

pankaj singh ने कहा…

thanks bro...